गुरु पूर्णिमा हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म का एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व गुरु के प्रति श्रद्धा, सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा हर वर्ष आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है, जो प्रायः जून या जुलाई महीने में आती है।
गुरु का महत्व
भारतीय संस्कृति में गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान माना गया है। गुरु अज्ञान के अंधकार को दूर कर ज्ञान का प्रकाश प्रदान करते हैं। गुरु के बिना जीवन की दिशा अधूरी मानी जाती है।
पौराणिक और आध्यात्मिक महत्व
गुरु पूर्णिमा का संबंध महर्षि वेदव्यास से माना जाता है, जिन्होंने वेदों का संकलन किया और महाभारत जैसे महान ग्रंथ की रचना की। बौद्ध धर्म में इसी दिन भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था।
गुरु पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
इस दिन शिष्य अपने गुरुओं का पूजन करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। गुरु के प्रति समर्पण से जीवन में ज्ञान, विवेक और सदाचार का विकास होता है।
गुरु पूर्णिमा के अनुष्ठान
- गुरु पूजन और चरण वंदना
- ज्ञान और सेवा का संकल्प
- सत्संग और प्रवचन
- दान और सेवा कार्य
गुरु पूर्णिमा का संदेश
- गुरु का सम्मान जीवन की नींव है
- ज्ञान से अज्ञान का नाश होता है
- सेवा और विनम्रता का भाव रखें
- सदाचार और सत्य के मार्ग पर चलें
निष्कर्ष
गुरु पूर्णिमा हमें गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और उनके दिखाए मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। यह पर्व जीवन को ज्ञान, अनुशासन और सद्गुणों से समृद्ध करता है।
शुभकामना संदेश
गुरु बिना ज्ञान नहीं,
ज्ञान बिना जीवन नहीं।
गुरु की कृपा से ही जीवन सफल होता है।
गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं! 🙏